प्राकृतिक कृषि कार्य व देशी गौवंश पालन एक दूसरे के पूरक हैं | अतः श्री रामकृष्ण ट्रस्ट प्राकृतिक कृषि के साथ-साथ कच्छ की स्थानीय नस्ल (Local Breed) कांकरेज के पालन-पोषण व नस्ल संवर्धन कार्य में भी संलग्न है | श्री रामकृष्ण ट्रस्ट ने गौपालन का कार्य 25 गायों से प्रारंभ किया था, जिसकी संख्या बढ़कर आज लगभग 300 हो चुकी है |
आदर्श प्राकृतिक गौशाला
लगभग 1 एकड़ भूमि में फैली ट्रस्ट की गौशाला का निर्माण प्राकृतिक शैली में किया गया है | गौशाला की छत बनाने में धान की पराली का उपयोग किया गया है | साथ ही गायों को हवा, प्रकाश व पर्याप्त स्थान मिले इसका विशेष ध्यान रखा गया है | गायों के लिए स्थाई रूप से छांव की व्यवस्था हो इसके लिए गौशाला में विभिन्न प्रकार के छायादार वृक्षों का रोपण किया गया है |
यहाँ दूध देने वाली, गर्भवती व बूढी गायों तथा बछरे-बछरियों के लिए अलग-अलग बाड़े बनाये गए हैं | सभी बाड़ों में गायों के पानी पीने के लिए हौदों की व्यवस्था की गई है | गौवंश के लिए अधिकतर हरा चारा ट्रस्ट के खेतों में प्राकृतिक तरीके से उगाया जाता है |
नर गौवंश का उपयोग
श्री रामकृष्ण ट्रस्ट का उद्देश्य अच्छे नंदी तैयार कर उच्च दुग्ध उत्पादकता वाले उत्कृष्ट गौवंश का निर्माण, गौवंश की वृद्धि व गौवंश की ऊर्जा का समाज फिर से उपयोग समझे इसके लिए एक मॉडल विकसित करना है |
हमारी गौशाला में अधिक दूध देने वाली गायों (High Milking Cows) का प्रजनन अच्छे नंदी से करवाने पर यदि बछड़ा पैदा होता है तो हम उसे एक उत्कृष्ट नंदी के रूप में विकसित करते हैं | हमारा प्रयास रहता है कि ऐसे नंदियों को आवश्यकता वाले गांवों व गौशालाओं को निःशुल्क उपलब्ध करवाएं |
इसी प्रकार कम दूध देने वाली गायों (Low Milking Cows) के बछड़ों को हम बैल के रूप में तैयार करते हैं और जिन किसानों को आवश्यकता हो उसे निःशुल्क उपलब्ध करवाते हैं |
2023 में लगभग 40 नंदी व बैल गांवों, गौशालाओं व किसानों को दिए गए |
समाज में नर गौवंश का उपयोग बढ़े तथा लोग परिवहन के लिए बैलगाड़ी का उपयोग करें, इसके लिए श्री रामकृष्ण ट्रस्ट ने ‘आधुनिक बैलगाड़ियों’ का निर्माण किया है | इसके अलावा हमने ‘बैल चालित ट्रैक्टर’ का भी एक मॉडल विकसित किया है |
गौशाला स्वावलंबन
श्री रामकृष्ण ट्रस्ट यहां उत्पादित दुग्ध के विक्रय के लिए स्वयं रिटेल मार्केटिंग करता है | माधापर गांव की दुकान व कुकमा गौशाला से 250 से 300 लीटर प्रतिदिन दुग्ध विक्रय किया जाता है | स्थानीय लोग अच्छा मूल्य देकर यहां से दूध खरीदते हैं |
गौशाला स्वावलंबन के लिए श्री रामकृष्ण ट्रस्ट हमेशा से प्रयत्नशील रहा है, लेकिन इसके लिए ट्रस्ट का फोकस केवल दुग्ध उत्पादन पर ही नहीं है | ट्रस्ट गोबर-गोमूत्र के भी समुचित उपयोग पर बल देता है | गोबर का उपयोग हम कंपोस्ट, इसका मूल्यवर्धन कर ‘सुपर कंपोस्ट’, बायोगैस स्लरी खाद जैसे खाद बनाने में करते हैं | इन खादों का उपयोग ट्रस्ट के खेतों में किया जाता है व अतिरिक्त खाद का विक्रय कर दिया जाता है | इसी प्रकार हम गोबर से बायोगैस, गोबर क्राफ्ट्स, गोमय लेपन (Vaidic Plaster) व विभिन्न घरेलू उत्पादों का निर्माण करते हैं |
गौमूत्र का उपयोग पंचगव्य आधारित विभिन्न औषधियों के निर्माण में किया जाता है |
पहले समाज में गोबर-गोमूत्र के उपयोग से आर्थिक उपार्जन व जीवन के लिए आवश्यक चीजों के निर्माण की परंपरा थी | इस परंपरा को हम आज के अनुसार नया प्रारूप देने का प्रयास कर रहे हैं |
इस प्रकार हम गौशाला स्वावलंबन का मॉडल स्थापित करने के लक्ष्य के साथ कार्यरत हैं |
सामाजिक आयाम
श्री रामकृष्ण ट्रस्ट के सभी कार्यों का अपना एक सामाजिक आयाम है | ट्रस्ट की गौशाला भी अपनी सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति प्रतिबद्ध है | इस दृष्टि से ट्रस्ट निम्नलिखित कार्यों में संलग्न है –
- नस्ल संवर्धन के लिए आवश्यकता वाले गांवों को उत्कृष्ट नंदी निःशुल्क उपलब्ध करवाना
- किसानों को खेती के लिए निःशुल्क बैल उपलब्ध करवाना
- गोबर-गोमूत्र के लिए किसानों को निःशुल्क गाय उपलब्ध करवाना
- जैविक खेती करने वाले किसानों को रियायती दरों पर गोबर-गोमूत्र का वितरण
- रियायती दरों पर औषधीय प्रयोजनों के लिए गोमूत्र का वितरण
- गौ-पालन पर निःशुल्क प्रशिक्षण व मार्गदर्शन
- गाय आधारित कृषि का प्रचार-प्रसार
- गौ-उपयोगिता के महिमामंडन के लिए साहित्य सृजन
- गौ-उत्पादों के वैज्ञानिक प्रमाणन का प्रयास
गौवंश का महत्व
गौवंश भारत की मूल अर्थव्यवस्था व संस्कृति का आधार है | गौवंश वास्तव में राष्ट्र की धरोहर है | पूरे पृथ्वी पर गौ सबसे उपकारी व पवित्र प्राणी है | गौ मानव स्वास्थ्य, पारिस्थितिकी संतुलन, अर्थव्यवस्था व संपूर्ण जीवन विज्ञान का आधार स्तंभ है | गाय के संपर्क में रहने से हमारी प्रसन्नता का स्तर भी बढ़ता है | गौ-दुग्ध शरीर को आरोग्य प्रदान करने वाला व बलवर्धक है |
गाय की पीठ की कूबड़ पर सूर्यकेतु नाड़ी होती है जिससे उसके दूध, गोबर व गोमूत्र में स्वर्ण के सूक्ष्म कण आ जाते हैं जिससे ये पदार्थ स्वतंत्र रूप में व पंचगव्य रूप में मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत उपयोगी हो जाते हैं | जूनागढ़ एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने वर्ष 2016 में गौमूत्र में स्वर्ण की उपस्थिति का पता लगाया था | साथ ही गोमूत्र में 388 प्रकार के रोग-प्रतिरोधक तत्व होने की बात कही थी |
गौ समस्त उत्कृष्ट अन्नों के उत्पादन की मूलभूत शक्ति है | गौ ही अग्निहोत्र सहित सभी यज्ञों की कारणरूपा है | विभिन्न धार्मिक विधि-विधानों में गौ-दुग्ध, गोबर, गोमूत्र व गौवंश का विशेष महत्व है |
श्री रामकृष्ण ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी डॉ. मनोज भाई सोलंकी गौ माता के महत्व को रेखांकित करते हुए कहे हैं – “यदि किसी कारण धरती बंजर हो जाए तो गौ माता ही पुनः धरती को उपजाऊ व ‘नंदन वन’ के तुल्य बना सकती है | गौ माता सनातन धर्म-संस्कृति की सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ है | इसके पंचगव्य धरती के पांच अमृत हैं | जहां गौ माता पाली जाती है वहां की सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है | गौ के साथ रहने से हमारी भी आभा बढ़ती है | यहां तक की गौ माता व्यक्ति के डीएनए में सकारात्मक बदलाव तक ला सकती है | वास्तव में गौ माता सामान्य नहीं है और क्योंकि हम उसकी संतान तुल्य हैं तथा उसके पंचगव्यों का उपयोग करते हैं अतः हम भी सामान्य नहीं है | हमें गौ व स्वयं के महत्व को समझना होगा |”
इस प्रकार गौ-महिमा अनंत है | अतः देश के सभी पंथ, संप्रदाय व क्षेत्र के लोगों को गौवंश के महत्व को समग्रता से समझना होगा तथा गौरक्षण व गौ संवर्धन के कार्य में संलग्न होना होगा | श्री रामकृष्ण ट्रस्ट अपने गौपालन आयाम के माध्यम से अपने हिस्से की इस जिम्मेदारी का निर्वहन व गौमाता के ऋण को चुकाने का प्रयास कर रहा है |
हम ‘गौमाता की जय’ बोलते हैं लेकिन ‘गौमाता की जय’ क्यों ? श्री रामकृष्ण ट्रस्ट का गौ पालन व सम्बंधित कार्य इसका भी जबाब देने का एक प्रयास है |
मार्गदर्शन के लिए 96245 45633 पर संपर्क करें