श्री रामकृष्ण ट्रस्ट ने अपने परिसर में एक मॉडल ‘प्राकृतिक ग्राम’ का निर्माण किया है | यह ग्राम अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं के संदर्भ में आत्मनिर्भर बने, इसके लिए हम प्रयासरत हैं | हमारे परंपरागत ग्राम भी अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति अपने स्थानीय-ग्रामीण संसाधनों के माध्यम से करते थे और इसलिए आत्मनिर्भर थे | लेकिन आज चाहे शहर हो या ग्राम हर जगह की ऊर्जा आवश्यकता की पूर्ति मुख्यतः केंद्रीकृत औद्योगिक व्यवस्था के तहत उत्पादित ऊर्जा से होती है | एक ओर यह व्यवस्था सतत विकास (Sustainable Development) की अवधारणा के अनुकूल नहीं है तथा दूसरी ओर पर्यावरण के लिए भी भारी हानिकारक है | अतः श्री रामकृष्ण ट्रस्ट ने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि हम अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति स्थानीय प्राकृतिक संसाधनों के न्यायपूर्ण दोहन से करें | ऊर्जा-आत्मनिर्भरता के संदर्भ में श्री रामकृष्ण ट्रस्ट का कार्यक्षेत्र –

 

गोबर-गैस

परंपरागत रूप से गांव में गोबर का उपयोग खेतों में खाद के लिए या कंडे बनाकर भोजन बनाने के ईंधन के रूप में करते हैं | लेकिन इसी गोबर का उपयोग यदि बायोगैस संयंत्र में किया जाए तो इससे प्राप्त ऊर्जा का उपयोग हम प्रकाश व ईंधन के लिए कर सकते हैं | साथ ही यांत्रिक ऊर्जा के रूप में भी इस ऊर्जा का उपयोग किया जा सकता है | अतिरिक्त उत्पाद – बायोगैस स्लरी का उपयोग खाद के रूप में किया जा सकता है | वास्तव में, बायोगैस किसी गाँव को उर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत्र हो सकता है और इसके लिए आवश्यक पशुपालन गाँव को आर्थिक मजबूती दे सकता है |

बायोगैस या गोबरगैस गैसों का एक मिश्रण है जो ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में जैविक सामग्री के विघटन से उत्पन्न होती है | यह विषरहित व बदबूरहित गैस है, जिसके जलने पर धूआं या कालिख भी उत्पन्न नहीं होता |

गौ-पालन श्री रामकृष्ण ट्रस्ट का एक मुख्य कार्य आयाम है अतः गौ-पालन से प्राप्त गोबर यहां का एक महत्वपूर्ण उत्पाद है | हम इस गोबर का उपयोग कई उत्पाद बनाने में करते हैं | लेकिन हमारे यहां सबसे अधिक गोबर का उपयोग बायोगैस संयंत्र में किया जाता है | ट्रस्ट के परिसर में कई गोबर गैस प्लांट लगाए गए हैं | इसमें 85 घन मीटर के 2, 25 घन मीटर व 5 घन मीटर के 1 – 1 व अन्य छोटे प्लांट लगाए गए हैं | इस प्रकार यहाँ  कुल 200 घन मीटर से ज्यादा क्षमता के प्लांट लगाए गए हैं | इस गैस का उपयोग हमारे पंचगव्य विभाग में दवाओं के निर्माण में, रसोई में व कृषि कार्य के लिए किया जाता है |

सौर-ऊर्जा

सूर्य ऊर्जा का एक प्राथमिक बारहमासी स्रोत है | निःशुल्क प्राप्त होने वाली यह ऊर्जा प्रदूषण रहित होती है साथ ही प्रचुर मात्रा में इसकी उपलब्धता है | अत: हमारा ट्रस्ट ऊर्जा के इस प्राथमिक स्रोत का कैसे सदुपयोग हो इस दिशा में प्रयत्नशील है |

इसके अलावा परिसर में एक सोलर चूल्हा भी लगाया गया है जिसमें कई लोगों का भोजन एक साथ बनाया जा सकता है |

ट्रस्ट परिसर के एक छत पर 10 KVA का सोलर पैनल लगाया गया है | परिसर में पानी की मोटर चलाने के लिए व प्रकाश के लिए इस ऊर्जा का उपयोग किया जाता है | हमारे परिसर में कई जगह रात्रि में प्रकाश के लिए सोलर लाइट के खंभे भी लगाए गए हैं |

पशु संचालित ऊर्जा

श्री रामकृष्ण ट्रस्ट बैलों की ऊर्जा का भी समुचित उपयोग करता है | यहां बैलों का उपयोग गौशाला के दैनिक कार्यों के लिए किया जाता है | साथ ही हमने बैलगाड़ियों के कई आधुनिक मॉडल तथा बैल चालित ट्रैक्टर का एक मॉडल विकसित किया है |

आधुनिक चूल्हे का मॉडल

ट्रस्ट की रसोई में परंपरागत चूल्हे का एक आधुनिक मॉडल भी बनाया गया है | यह चूल्हा कम ईंधन के प्रयोग से ही पर्याप्त ऊर्जा प्रदान करता है | साथ ही  यह चूल्हा न्यूनतम धुँआ उत्पन्न करता है |

ट्रस्ट की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की संकल्पना से यहां आने वाले लोग इस दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित होते हैं |