श्री रामकृष्ण ट्रस्ट, कुकमा  गुजरात के कच्छ जिले में स्थित है | 2010 में स्व. पुरुषोत्तम डायाभाई सोलंकी के द्वारा स्थापित व उनके परिवार के द्वारा संचालित यह ट्रस्ट आज विकास की बहुमुखी परिभाषा को साकार करने की दिशा में कार्यरत है |

गाय आधारित प्राकृतिक कृषि, ग्राम विकास, ग्राम स्वाबलंबन आदि गतिविधियों के माध्यम से यह ट्रस्ट पर्यावरण व विकास के बीच सामंजस्य व सही विकास का मॉडल देने की दिशा में उद्धत है |

ट्रस्ट भारत के पारंपरिक व सांस्कृतिक ज्ञानकोष से वर्तमान की समस्याओं का समाधान कैसे हो इस दिशा में चिंतन व व्यावहारिक प्रयोग कर रहा है |

संस्था के मैनेजिंग ट्रस्टी श्री मनोज भाई पी. सोलंकी का स्पष्ट मत है की देशी गाय आधारित प्राकृतिक कृषि विश्व की सभी समस्याओं से बाहर आने का एकमात्र मार्ग है | इस चिंतन को ध्यान में रखते हुए ट्रस्ट में प्रतिमाह दिनांक 12, 13, 14 को 3 दिवसीय देशी  गौ-आधारित प्राकृतिक कृषि पर निःशुल्क प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है | 12 से 14 अप्रैल 2024 को इस कड़ी का 101 वां प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न हुआ |

इसके अलावा ग्राम विकास के विभिन्न आयामों यथा जैविक कृषि, गौ-पालन, पंचगव्य निर्माण, ग्रामोद्योग, कारीगरी कार्य, आदि में ‘काम करके सीखने’ की परंपरागत शैली में कोई भी व्यक्ति कभी भी यहां आकर निःशुल्क प्रशिक्षण प्राप्त कर सकता है |

प्राकृतिक कृषि के अंतर्गत ट्रस्ट की गतिविधियां हैं – देशी खाद, पोषक और कीटरोधक दवाइयों का निर्माण, ‘सॉइल टेस्टिंग’ लैबोरेटरी से मिट्टी की जांच, जैव विविधता को बढ़ावा देना आदि |

गौ-संवर्धन कार्य के अंतर्गत ट्रस्ट जहां एक ओर स्थानीय कांकरेज गौ-वंश का संरक्षण-संवर्धन व नस्ल सुधार में संलग्न है वहीं दूसरी ओर गौपालन की आर्थिक व्यवहार्यता  (Economic Viability) को भी सिद्ध कर रहा है |

गौ-पालन की आर्थिक व्यवहार्यता को सिद्ध करने की दृष्टि से ट्रस्ट में गौ-वंश के गव्य का व्यावसायिक उपयोग, गौ-वंश की ऊर्जा का परिवहन और कृषि कार्यों में उपयोग, गोबर से विभिन्न प्रकार की गृह उपयोगी वस्तुओं का निर्माण आदि कार्य किये जा रहे हैं | ट्रस्ट के इन प्रयासों से युवा भी गौशाला को ‘गौ-विज्ञान केंद्र’ बनाने में जुटे हैं | साथ ही इन गतिविधियों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में गतिशीलता व ग्रामीण जनमानस में विश्वास का संचार हुआ है |

ग्रामोद्योग और कारीगरी कार्य को और बढ़ावा देने के लिए ट्रस्ट के परिसर में लुहार, सुथार, कुम्हार और गोबर क्राफ्ट बनाने वालों की लिए स्थान नियत किए गए हैं |

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में जैविक कृषि, गौ- संवर्धन व ग्रामोद्योग के विकास के उद्देश्यों को प्राप्त करने की दिशा में श्री रामकृष्ण ट्रस्ट ने प्राकृतिक गांव का एक सुचारू प्रारूप साकार किया है | इस प्राकृतिक गांव में इको-फ्रेंडली आवास बनाए गए हैं, मौसम के अनुसार फल-सब्जियों की खेती की जाती है तथा वर्षा जल संग्रह व सौर ऊर्जा का समुचित उपयोग किया जाता है |

ट्रस्ट के परिसर में ‘प्राकृतिक कृषि पर्यटन’ का भी एक मॉडल विकसित किया गया है जहां पर्यटक कच्छ के परंपरागत आवास जिन्हें भुंगा कहते हैं में रह सकते हैं व यहां एक जीवंत ग्राम्य जीवन-संस्कृति का अनुभव प्राप्त कर सकते हैं |

इस प्रकार मानव मूल्य व मानव कर्तव्य के उत्थान को समर्पित यह ट्रस्ट मात्र एक ग्राम अथवा एक स्थानीय व्यवस्था नहीं बल्कि संपूर्ण भारत में ग्राम विकास के प्रारूप का एक ज्वलंत उदाहरण है |

विकास संबंधी ट्रस्ट की दृष्टिकोण को समाज के सामूहिक प्रयत्न से ही पूरा किया जा सकता है | इसलिए ट्रस्ट हमेशा से इस दिशा में कार्य कर रहे लोगों व संस्थाओं को जोड़ने का प्रयास करता रहा है | हम आपको भी ट्रस्ट से जुड़कर इस महत्वपूर्ण कार्य को आगे बढ़ाने के लिए आमंत्रित करते हैं |