પાક્ષિક પત્રિકા
કચ્છના સૌથી જૂના વર્તમાનપત્ર “જયકચ્છ” સાથે મળીને વર્ષ 2016થી સંસ્થાની પત્રિકા તરીકે દર પંદર દિવસે તેનું પ્રકાશન થઈ રહ્યું છે. જેમાં પ્રાકૃતિક ખેતી, ગૌપાલન, ગ્રામવિકાસ, આરોગ્ય જેવા વિષયોની માહિતી પ્રકાશિત કરવામાં આવે છે.
श्री रामकृष्ण ट्रस्ट प्रकृति व परंपरागत ग्रामीण जीवन व्यवस्था को समर्पित एक संस्था है | इस परंपरागत जीवन व्यवस्था संबंधी विचारों के आधार पर एक मॉडल ग्रामीण व्यवस्था हमने अपने ट्रस्ट परिसर में बनाई है | इस मॉडल व्यवस्था को आधार देने वाले विषयों व व्यवसायों जैसे प्राकृतिक कृषि, गोपालन, ग्रामोद्योग, पंचगव्य, हस्तकला आदि पर हम यहाँ कई व्यावहारिक कार्य, प्रयोग व अनुसंधान कर रहे हैं | साथ ही हम इसके लिए भी प्रयत्नशील हैं कि इन विषयों को आज के अनुकूल कैसे बनाया जाए जिससे लोगों के बीच इन विषयों की पुनः स्वीकृति बने | कोई भी विचार व उसपर आधारित व्यवस्था चाहे कितनी ही कल्याणकारी क्यों ना हो लेकिन बिना जनमानस के बीच उसका प्रचार किये वह जनोपयोगी नहीं हो सकती | इस बात को समझते हुए हमने अपने ट्रस्ट में एक साहित्य विभाग बनाया है | साहित्य किसी भी विचार को संक्षेप में कहने की एक जनरुचिपूर्ण पद्धति है |
ग्रामीण जीवन व्यवस्था संबंधी विचारों के प्रसार के लिए साहित्य निर्माण के अंतर्गत हमारे कार्यों को निम्नलिखित बिंदुओं के अंतर्गत रखा जा सकता है –
इन दोनों ऑडियो सीडी का बाद में फिल्मांकन कर इसे वीडियो रूप में तैयार किया गया है | यह फिल्मांकन हमारे ट्रस्ट के कैंपस व खेतों के अंदर ही किया गया है | दृश्य रूप में इन गीतों के पीछे की भावनाओं को अच्छे से प्रस्तुत किया जा सका है |
भारत की यह प्रथम फिल्म है जिसमें प्राकृतिक कृषि करने की विधि को सिखाया गया है तथा केमिकल खेती की मानव जीवन पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को रेखांकित किया गया है | इस फिल्म के गुजराती संस्करण का नाम – જાગ્યા ત્યારથી સવાર तथा हिंदी संस्करण का नाम ‘जब जागे तब सबेरा’ है |
मूल रूप से गुजराती में बनी इस फिल्म को हिंदी में भी डब किया गया है ताकि यह फिल्म केवल गुजरात तक ही सीमित ना रहे बल्कि प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए पूरे भारत में इसका प्रसार हो व राष्ट्रीय स्तर पर इसकी पहुंच बने | प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस फिल्म को थियेटर में भी रिलीज किया गया था | पूरे भारत से इस फिल्म को अच्छी प्रतिक्रिया मिली | विदेश में भी इस फिल्म का प्रस्तुतीकरण हुआ | जापान की ओर से इस फिल्म को अवार्ड प्राप्त हुआ है |
आज भी प्राकृतिक खेती के प्रोत्साहन व इस विषय में लोगों के प्रशिक्षण के लिए हमारे साथ-साथ अन्य संस्थाएं भी इस फिल्म का उपयोग कर रही हैं | यह फिल्म हमारे यूट्यूब चैनल पर भी उपलब्ध है |
इसके अलावा जल संरक्षण, युवा उन्नति जैसे विषयों पर भी हमने कुछ छोटे-छोटे पैम्फलेट बनाये हैं | हम इसे व्हाट्सएप के माध्यम से हमसे जुड़े लोगों व समूहों को प्रेषित करते हैं |
हम जिन विषयों पर कार्य कर रहे हैं उसका प्रचार-प्रसार करने के लिए विभिन्न सोशल मीडिया माध्यमों यथा व्हाट्सएप ग्रुप, फेसबुक पेज, इंस्टाग्राम पेज आदि का प्रयोग कर रहे हैं | इससे हम अपना अनुभव, समझ व अनुसंधान लोगों तक पहुंच पा रहे हैं | इन सोशल मीडिया के माध्यम से अच्छी संख्या में लोग हमसे व हमारे विचारों से जुड़े हैं |
इस प्रकार जरूरत के अनुसार हमने साहित्य निर्माण का कार्य किया है व आधुनिक व परंपरागत माध्यमों का प्रयोग कर इसे जन-जन तक पहुँचा रहे हैं |
કચ્છના સૌથી જૂના વર્તમાનપત્ર “જયકચ્છ” સાથે મળીને વર્ષ 2016થી સંસ્થાની પત્રિકા તરીકે દર પંદર દિવસે તેનું પ્રકાશન થઈ રહ્યું છે. જેમાં પ્રાકૃતિક ખેતી, ગૌપાલન, ગ્રામવિકાસ, આરોગ્ય જેવા વિષયોની માહિતી પ્રકાશિત કરવામાં આવે છે.
વીડીયો અને ઓડિયો આલ્બમ (1) ચાલો કુદરત ખોળે (પ્રાકૃતિક ખેતી અને પર્યાવરણ ગીતો) (2) વંદે ગૌમાતરમ (ગૌપાલન ગીત) (સી.ડી., પેન ડ્રાઇવ તેમજ યૂ ટ્યૂબ પર ઉપલબ્ધ)
સજીવ ખેતી પર ગુજરાત અને ભારતની સર્વ પ્રથમ ફિલ્મ ‘’જાગ્યા ત્યારથી સવાર” નું નિર્માણ સાથે સાથે આ ફિલ્મ રાષ્ટ્રીય કક્ષાએ પણ સૌ જોઈ શકે તે માટે હિન્દી માં ડબ્ડ કરાઇ છે. (જબ જાગે તબ સબેરા) આ ફિલ્મ પેન ડ્રાઇવ તેમજ યૂ ટ્યૂબ ચેનલ પર ઉપલધ...