श्री रामकृष्ण ट्रस्ट प्रकृति व परंपरागत ग्रामीण जीवन व्यवस्था को समर्पित एक संस्था है | इस परंपरागत जीवन व्यवस्था संबंधी विचारों के आधार पर एक मॉडल ग्रामीण व्यवस्था हमने अपने ट्रस्ट परिसर में बनाई है | इस मॉडल व्यवस्था को आधार देने वाले विषयों व व्यवसायों जैसे प्राकृतिक कृषि, गोपालन, ग्रामोद्योग, पंचगव्य, हस्तकला आदि पर हम यहाँ कई व्यावहारिक कार्य, प्रयोग व अनुसंधान कर रहे हैं | साथ ही हम इसके लिए भी प्रयत्नशील हैं कि इन विषयों को आज के अनुकूल कैसे बनाया जाए जिससे लोगों के बीच इन विषयों की पुनः स्वीकृति बने | कोई भी विचार व उसपर आधारित व्यवस्था चाहे कितनी ही कल्याणकारी क्यों ना हो लेकिन बिना जनमानस के बीच उसका प्रचार किये वह जनोपयोगी नहीं हो सकती | इस बात को समझते हुए हमने अपने ट्रस्ट में एक साहित्य विभाग बनाया है | साहित्य किसी भी विचार को संक्षेप में कहने की एक जनरुचिपूर्ण पद्धति है |

ग्रामीण जीवन व्यवस्था संबंधी विचारों के प्रसार के लिए साहित्य निर्माण के अंतर्गत हमारे कार्यों को निम्नलिखित बिंदुओं के अंतर्गत रखा जा सकता है –

  • प्राकृतिक कृषि पर पुस्तक – प्राकृतिक खेती के अपने 20-22 वर्षों के अनुभव को ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी डॉ. मनोज भाई सोलंकी जी ने एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया है | ‘एक कदम प्रकृति की ओर’ नाम से प्रकाशित इस अनुभव पुस्तक में प्राकृतिक खेती के मूलभूत सिद्धांतों यथा प्रकृति क्या है, यह कैसे कार्य करती है, यह कैसे होनी चाहिए व हम इसे सर्वश्रेष्ठ तरीके से कैसे कर सकते हैं जैसे विषयों से पाठकों का परिचय इस पुस्तक में करवाया गया है | प्राकृतिक कृषि की दिशा में आगे बढ़ने वाले किसानों के लिए यह पुस्तक काफी उपयोगी है |
  • पाक्षिक पत्र का प्रकाशन – हमारी संस्था से प्रशिक्षित व वैचारिक समता रखने वाले हजारों लोग हमसे जुड़े हुए हैं | उन तक हमारा विचार व चिंतन तथा संस्था में होने वाले नित्य नए विषयों पर होने वाले अनुसंधान, यहां होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों, विभिन्न शिविरों की जानकारी आदि पहुंचे यह आवश्यक है | इसके लिए हम ‘जय कच्छ’ नाम से एक पाक्षिक पत्र प्रकाशित करते हैं | ‘जय कच्छ’ कच्छ का सबसे पुराना पत्र है | आज यह पत्र ग्रामीण विकास विषय को समर्पित है | इसके माध्यम से हम ग्राम विकास की भारतीय परंपरागत अवधारणा का प्रसार कर रहे हैं | भारतीय विचार में ग्राम विकास क्या है, ग्राम विकास के लिए कैसे कुछ किया जा सकता है आदि जैसे विषयों पर समाज में संवाद हो व जागरूकता आए इसके लिए हम इस माध्यम का प्रयोग कर रहे हैं |
  • कविता व गीत – हमारे ट्रस्ट के पूर्व प्रमुख स्व. महेश भाई सोलंकी ‘बेनाम’ एक कवि व लेखक थे | उन्होंने प्रकृति खेती, पर्यावरण तथा गायों के महत्व व उनकी उपयोगिता से समाज को परिचित करवाने के लिए इन विषयों पर कई कविताओं व गीतों की रचना की | इनके गीतों को संगीतबद्ध कर 2 ऑडियो सीडी बनाई गई है | इसमें एक सीडी पर्यावरण व प्राकृतिक खेती के महत्व विषय पर है तथा दूसरी सीडी का विषय हमारे जीवन में गौ माता की भूमिका व महत्व है | ये सीडी प्रचार-प्रसार के अच्छे साधन हैं | गौ और पर्यावरण जन-जागृति के कार्यक्रमों में पूर्व भूमिका के लिए हम इनका उपयोग करते हैं | यह सीडी निःशुल्क सबतक पहुंचे उसका भी हम हमने प्रयास किया है |

इन दोनों ऑडियो सीडी का बाद में फिल्मांकन कर इसे वीडियो रूप में तैयार किया गया है | यह  फिल्मांकन हमारे ट्रस्ट के कैंपस व खेतों के अंदर ही किया गया है | दृश्य रूप में इन गीतों के पीछे की भावनाओं को अच्छे से प्रस्तुत किया जा सका है |

  • फिल्म निर्माण – हमने प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए एक फीचर फिल्म भी बनाई थी | 2 घंटे 10 मिनट की इस फिल्म का निर्माता हमारा ट्रस्ट है | इस फिल्म की कहानी भी स्व. महेश भाई सोलंकी ने ही लिखी थी | इस फिल्म के अधिकतर हिस्से की वीडियोग्राफी हमारे ट्रस्ट के कैंपस व हमारे खेतों में हुआ है | यह फिल्म 2018 में बनी थी |

भारत की यह प्रथम फिल्म है जिसमें प्राकृतिक कृषि करने की विधि को सिखाया गया है तथा केमिकल खेती की मानव जीवन पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को रेखांकित किया गया है | इस फिल्म के गुजराती संस्करण का नाम – જાગ્યા ત્યારથી સવાર तथा हिंदी संस्करण का नाम ‘जब जागे तब सबेरा’ है |

मूल रूप से गुजराती में बनी इस फिल्म को हिंदी में भी डब किया गया है ताकि यह फिल्म केवल गुजरात तक ही सीमित ना रहे बल्कि प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए पूरे भारत में इसका प्रसार हो व राष्ट्रीय स्तर पर इसकी पहुंच बने | प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस फिल्म को थियेटर में भी रिलीज किया गया था | पूरे भारत से इस फिल्म को अच्छी प्रतिक्रिया मिली | विदेश में भी इस फिल्म का प्रस्तुतीकरण हुआ | जापान की ओर से इस फिल्म को अवार्ड प्राप्त हुआ है |

आज भी प्राकृतिक खेती के प्रोत्साहन व इस विषय में लोगों के प्रशिक्षण के लिए हमारे साथ-साथ अन्य संस्थाएं भी इस फिल्म का उपयोग कर रही हैं | यह फिल्म हमारे यूट्यूब चैनल पर भी उपलब्ध है |

  • आरोग्य कैलेंडर – ऋतुचर्या के एक कैलेंडर ‘आरोग्य कैलेंडर’ का हमने निर्माण किया है | किस ऋतु में क्या खाना है, क्या नहीं खाना है आदि की जानकारी इस कैलेंडर के माध्यम से आसानी से हो सकती है | साथ इस कैलेंडर में बीमार न होने के कुछ सुझाव दिए गए हैं | यदि इस कैलेंडर को समझकर अपनी दिनचर्या व ऋतुचार्य निर्धारित की जाए तो घर में कोई बीमारी नहीं आती और यदि आती भी है तो बहुत कम | इस प्रकार बीमारियों से बचाव के लिए इस आरोग्य कैलेंडर का निर्माण किया गया है | यहां आने वाले व्यक्तियों – परिवारों के मध्य हमने इस कैलेंडर का हजारों की संख्या में अभी तक निःशुल्क वितरण किया है |
  • प्राकृतिक कृषि के लिए पैम्फलेट – हमारे यहां जो भी किसान आते हैं उनको अपने खेत पर प्राकृतिक खाद व किटरोधक बनाने की विधि बताने के लिए हमने एक पैम्फलेट भी तैयार किया है |
  • उत्पादों की गाइड पुस्तिका – हम अपने ट्रस्ट में लगभग 100 उत्पाद बना रहे हैं | इन उत्पादों को बनाने की विधि और उनमें जिन पदार्थों का उपयोग किया गया है इनके विवरण से संबंधित हमने एक प्रोडक्ट गाइड पुस्तिका तैयार की है | कई लोग यहां प्रशिक्षण के लिए नहीं आ सकते वे इस गाइड पुस्तिका की सहायता से साबुन, शैंपू , दंत मंजन जैसे कई उत्पाद अपने घर पर ही स्वयं बनाना सीख सकते हैं | इसके अलावा हमारे यहां से प्रशिक्षण ले चुके लोग भी इस पुस्तिका को ले जाते हैं ताकि उत्पादों को बनाने की विधियों को भूलने की स्थिति में वे इस पुस्तिका से विभिन्न उत्पादों को बनने की विधियों को पुनः देख सकें |
  • प्रदर्शनी – श्री रामकृष्ण ट्रस्ट परिसर में आने वाले आगंतुकों व भेंटकर्ताओं को हमारे कार्यों के दृष्टिकोण से परिचत करवाने के लिए यहाँ एक प्रदर्शनी-गलियारा बनाया गया है | इस प्रदर्शनी को देखकर लोगों का भारत की परंपरागत संस्कृति व परंपरागत व्यवसायों से परिचय होता है | इस प्रदर्शनी-गलियारे में लोहार, धोबी, कुम्भार आदि जैसे परंपरागत व्यवसायों से सम्बंधित विभिन्न उपकरणों व वस्तुओं को दर्शकों के लिए रखा गया है |

इसके अलावा जल संरक्षण, युवा उन्नति जैसे विषयों पर भी हमने कुछ छोटे-छोटे  पैम्फलेट बनाये हैं | हम इसे व्हाट्सएप के माध्यम से हमसे जुड़े लोगों व समूहों को प्रेषित करते हैं |

हम जिन विषयों पर कार्य कर रहे हैं उसका प्रचार-प्रसार करने के लिए विभिन्न सोशल मीडिया माध्यमों यथा व्हाट्सएप ग्रुप, फेसबुक पेज, इंस्टाग्राम पेज आदि का प्रयोग कर रहे हैं | इससे हम अपना अनुभव, समझ व अनुसंधान लोगों तक पहुंच पा रहे हैं | इन सोशल मीडिया के माध्यम से अच्छी संख्या में लोग हमसे व हमारे विचारों से जुड़े हैं |

इस प्रकार जरूरत के अनुसार हमने साहित्य निर्माण का कार्य किया है व आधुनिक व परंपरागत माध्यमों का प्रयोग कर इसे जन-जन तक पहुँचा रहे हैं |

જય કચ્છ

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પાક્ષિક પત્રિકા

કચ્છના સૌથી જૂના વર્તમાનપત્ર “જયકચ્છ” સાથે મળીને વર્ષ 2016થી સંસ્થાની પત્રિકા તરીકે દર પંદર દિવસે તેનું પ્રકાશન થઈ રહ્યું છે. જેમાં પ્રાકૃતિક ખેતી, ગૌપાલન, ગ્રામવિકાસ, આરોગ્ય જેવા વિષયોની માહિતી પ્રકાશિત કરવામાં આવે છે.

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પુસ્તક

પુસ્તક : (1) ગાય આધારિત ખેતી : એક અનુભવ (ગુજરાતી) (2) ગો સંજીવની ગો ઉત્પાદ દ્વારા સ્વાવલંબન (ગુજરાતી) (3) ચલો પ્રકૃતિ કી ઓર (હિન્દી) (4) કચ્છની સંગીત પરંપરા (ગુજરાતી)  

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ચાલો કુદરતના ખોળે

વીડીયો અને ઓડિયો આલ્બમ (1) ચાલો કુદરત ખોળે (પ્રાકૃતિક ખેતી અને પર્યાવરણ ગીતો) (2)  વંદે ગૌમાતરમ (ગૌપાલન ગીત) (સી.ડી., પેન ડ્રાઇવ તેમજ યૂ ટ્યૂબ પર ઉપલબ્ધ)

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થિયેટર ફિલ્મ

સજીવ ખેતી પર ગુજરાત અને ભારતની સર્વ પ્રથમ ફિલ્મ ‘’જાગ્યા ત્યારથી સવાર” નું નિર્માણ સાથે સાથે આ ફિલ્મ રાષ્ટ્રીય કક્ષાએ  પણ સૌ જોઈ શકે તે માટે હિન્દી માં ડબ્ડ કરાઇ છે. (જબ જાગે તબ સબેરા) આ ફિલ્મ પેન ડ્રાઇવ તેમજ  યૂ ટ્યૂબ ચેનલ પર ઉપલધ...

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